सामाजिक क्षेत्र में राजस्थान पत्रिका के साथ आजादी के अमृत महोत्सव में रक्षकों की राखी अभियान के अंतर्गत प्रथम शुरुआत की थी । First माइलस्टोन रहे हैं। राजस्थान पत्रिका की न्यूज़, आर्टिकल, कॉन्पिटिटिव एग्जाम क्वेश्चन, कोटेशंस, इवेंट वुमन गेस्ट एडिटर, आर्ट एंड क्राफ्ट एक्टिविटीज काफी रोचक इंस्पिरेशनल और इनोवेटिव हैं।
आज की जनरेशन,स्टूडेंट्स और फीमेल को मेरा यह मैसेज है-
की प्वाइंट्स सेट करें-
टाइम मैनेजमेंट, टाइम पंक्चुअलिटी,सच की नींव, सही डायरेक्शन, खुद पर कंट्रोल और अपना शेड्यूल मैनेज करें।
न्यूज़ पेपर, बुक से पढ़ें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कम।
सभी तरह के काम महिलाओं को आने चाहिए।
जो महिलाओं के आगे डिपेंडेंट का टैग है वह हटकर सेल्फ डिपेंडेंट होना चाहिए।
हमारी NGO मन की उड़ान संस्थान सभी प्रकार के स्किल डेवलपमेंट रिलेटेड कोर्सेज की ट्रेनिंग देती है। मोटीव यह है कि हर व्यक्ति में कोई न कोई हुनर है किसी न किसी में इंटरेस्ट होता है उसे पहचान कर आगे लाना और लाभार्थी को प्रैक्टिकली और थ्योरीटिकली दोनों एस्पेक्ट्स में प्रिपेयर करना क्योंकि पढ़ाई भी डिग्री और प्रैक्टिकल नॉलेज दोनों आज की रिक्वायरमेंट है और पढ़ाई के साथ में आपकी एक्स्ट्रा स्किल ऐड हो जाए तो आप सेल्फ डिपेंडेंट होकर अपने क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।
बुक से पढ़ने में जो ज्ञान का रस मिलता है वो सेटिस्फेक्शन सोशल मीडिया कंटेंट से नहीं मिलता। लीजेंड्स की बायोग्राफी पढें उससे आपको गार्डेंस मिलेगा, जोश आएगा और आपके कैरियर के लिए डायरेक्शन मिलेगा।
सबसे बड़ा मूल मंत्र मेरा मानना है और आप खुद फील करेंगे-
इंटरेस्ट इज इन्वर्सली प्रोपोर्शनल टू स्ट्रेस।
जब आपके इंटरेस्ट का करते हैं तो उसमें इतना डूब जाएंगे कि आपका stress अपने आप कम हो जाएगा।
अपने नैतिक मूल्य, संस्कार और मिट्टी से जुड़ें।
असफलता में ही सफलता है अनसक्सेस होते हैं तो नेक्स्ट ट्राय करते हैं हमारे गोल की ओर। उसमें और नए इनोवेशन ऐड होते हैं और बेहतर होता है अनुभव के कारण।
आपके मन में आने वाले किसी भी विचार, क्रिएटिविटी एंड इंट्रेस्ट को छोटा ना समझे उसे इंप्लीमेंट करें या तो सक्सेस होंगे या अनसक्सेस।अनसक्सेस में ज्यादा मजा है। चैलेंज होंगे तो लाइफ जीने में मजा आएगा। छोटी सी लाइफ है हर बात जो करना चाहते हैं उसके लिए कोशिश करें उसे पूरा करें पूरा नहीं भी कर पाए तो एक्सपीरियंस मिलेगा और ओवरऑल पर्सनैलिटी डेवलपमेंट होगा।
आगामी समय में संस्थान द्वारा महिलाओं के लिए ड्राइविंग क्लासेस,आत्मरक्षा क्लासेस प्रारंभ की जा रही हैं ताकि वे अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें ,नारी शक्ति स्वावलंबी बने और आत्मनिर्भर बन सके और अन्याय के खिलाफ लड़ने के गुर सीख सके।
साथ ही बच्चों के लिए वैदिक ज्ञान- तक्षशिला कॉर्नर खोला जाएगा जिसमें बच्चों को अपने धर्म से जुड़ी बातें, धार्मिक ग्रंथ और भगवान की कथा से संबंधी ज्ञान दिया जाएगा ताकि वे टीवी, मोबाइल, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म से दूर रह सकें। अपने धर्म,संस्कार, रीति-रिवाज,मूल्यों से जुड़ें।
संस्थान द्वारा समय-समय पर आयोजित होने वाले जिला कार्यक्रमों में जिले की यूनिक टैलेंट और इस वागड़ जनजाति क्षेत्र में विद्यमान टैलेंटेड कैंडीडेट्स को प्लेटफार्म दिया जाता है जिससे वे भी अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर सकें और राज्य स्तर पर भी मिलने वाले प्लेटफार्म या पुरस्कार के लिए नॉमिनी किया जाकर आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है।
मैंने इंजीनियरिंग इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में और एमटेक कंप्यूटर साइंस में की है और अब सोशल सर्विस कर रही हूं यह सवाल सभी के मन में आता है- इसके लिए मेरा यह कहना है कि टेक्निकल अकैडमिक डिग्री भी जरूरी है और मैं मेरिटोरियस स्टूडेंट रही हूं पढ़ाई करना भी मेरा इंटरेस्ट है और बाकी जो स्किल रिलेटेड मेरी होबी चाइल्डहुड से रही है हर गर्मी की छुट्टियों में एक एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज सीखती थी, इसके लिए मेरी मम्मी ने मेरा रुझान,इंटरेस्ट इन सब की ओर बढ़ाने का प्रयास किया उन्होंने ही मार्ग दिखाया। मल्टीटास्किंग पसंद है हर चीज आनी चाहिए खुद के लिए भी और दूसरे की हेल्प के लिए भी।
डिजिटल टेक्निकल स्किल्स मेरी पढ़ाई जिसमें मैंने की है उसे कैसे समाज सेवा क्षेत्र में यूज करना, यही सोचा मैंने। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर प्राइवेट कंपनी में वेबसाइट डेवलपर सॉफ्टवेयर डेवलप सब कर रहे हैं।कुछ अलग हटकर क्या किया जाए जो लोगों के काम आ सके और स्पेशली महिलाओं को डिपेंडेंट ना रहना पड़े छोटी छोटी चीजों के लिए।
मेरी तरह हमारी संस्थान,संस्थान की टीम मेंबर्स और ट्रेनर्स भी मल्टीटास्किंग है। हमारी संस्था के हर कार्य,डॉक्यूमेंटेशन,प्रेजेंटेशन एंड ऑल एक्टिविटीज में डिजिटल टेक्निक्स, स्मार्ट वेज विद शॉर्ट टाइम और यूनिक स्किल्स इनवोलव हैं। कम समय, कम इन्वेस्टमेंट, स्मार्ट स्किल्स, टेक्निकल एंड मल्टी टास्किंग मल्टी पर्सनालिटी डिजिटली वर्क
मन की उड़ान = अ कंप्लीट कोंबीनेशन ऑफ टेक्निकल+एजुकेशन+ डिग्री+ स्किल+हॉबी+सोशल सर्विस
Main goal of NGO
Computer training +digitally skilled+ smart work earning from home +self dependent
मैंने चार से 5 तरह की जॉब की है हर क्षेत्र की जॉब का एक्सपीरियंस है-
सारी ट्रेनिंग के साथ-साथ अभ्यर्थियों को ऑफिस कल्चर, पर्सनालिटी डेवलपमेंट, कम्युनिकेशन स्किल्स,बॉडी लैंग्वेज की एक्स्ट्रा वर्कशॉप और नॉलेज समय-समय पर दिए जाते हैं। वास्तव में आपकी जॉब होने के बाद आपको कैसे कार्यस्थल पर कार्य करना है क्योंकि आजकल की जनरेशन है वह किताबें पढ़कर मेहनत करके कंपीटिटीव एग्जाम में पास हो जाती है लेकिन जब धरातल पर प्रैक्टिकल में जाकर उन्हें ऑफिस में वर्क करना होता है तो ऑफिस कल्चर समझ में नहीं आता है आज की जनरेशन को।
पढ़ना, हायर एजुकेशन भी मेरी हॉबी है और उच्च शिक्षा से ही सोंच-विचार,मानसिकता, क्रिएशन, इनोवेशन उच्च स्तर के आते हैं और फिर उसमें तकनीक का समावेश हो जाए तो क्या कहना।
एक लाइफ मिली है तो अपनी इच्छाओं और ख्वाहिशों को पूरा करें,दूसरों की मदद करें, इन सबमें किसी को पूरे परिवार का साथ मिलता है तो सब साथ मिलकर होता है और जहां साथ- समझ नहीं वह अकेले चलता है
एक इंजीनियर सब कुछ कर सकता है-
Today’s scenario engineers – startups, new innovations, ideas
सबसे इंपॉर्टेंट बात यह सब कुछ संस्था खुद के खर्चे पर कर रही है और संस्थान की जो अलग-अलग प्रशिक्षणों की महिला ट्रेनर्स हैं वे भी अपने निःशुल्क सेवाएं दे रही हैं ,निःशुल्क प्रशिक्षण का सामान उपलब्ध करवा रही हैं।
संस्थान द्वारा अभ्यर्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर अन्य ट्रेनर तैयार किए जा रहे हैं ताकि पूरे डूंगरपुर डिस्ट्रिक्ट और राज्य स्तर तक महिलाएं अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देकर सिखा सकें और यहां की जो ट्राइबल और शहरी एरिया की महिलाएं आगे बढ़ सकें।
श्रीमान प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी का विजन भी स्किल इंडिया पर है और इसी तरह के प्रशिक्षण महिलाओं को अभ्यर्थियों को देकर वे सभी महिलाओ, जनसमुदाय को आगे लाने के प्रयास कर रहे हैं।साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी वोकेशनल एजुकेशन पर काफी जोर दिया जा रहा है ।
समाज सेवा का उद्देश्य,मन में बीज शुरू से ही खून में था किंतु किस क्षेत्र में की जाए इसे आज की समय की और आने वाले भविष्य की संभावनाओं और मेरी स्वयं की पढ़ाई में योग्यता, सभी तरह के प्रशिक्षणों की डीप नाॅलेज,समझ,स्किल,हाॅबी देखते हुए संस्थान ने स्किल डेवलपमेंट क्षैत्र को चूज किया।
नारी शक्ति भारतीय संस्कृति की आधार स्तंभ है।आमतौर पर महिलाएं स्वयं के लिए नहीं सोचती हैं लेकिन छोटा ही सही अपने लिए कोई सपना तो देखें। 24 घंटे में से 2 घंटा अपने लिए रखें। इससे आपका जीवन ही बदल जाएगा साथ ही परिवार को भी निश्चित रूप से फायदा मिलेगा आप खुश रहेंगे तो पूरा परिवार हमेशा ही खुश रहेगा।
घर में रखे हुए अनयूजिबल थिंग्स से कैसे यूजेबल थींग बनाना।वेस्ट आउट ऑफ बेस्ट और एक भी मिनट व्यर्थ नहीं करना हर एक मिनट का सदुपयोग करना मेरा मूल मंत्र। खाली नहीं बैठा जाता मुझसे बिजी नहीं रहती हूं तो फ्रस्ट्रेटेड होती हूं कि कुछ काम क्यों नहीं और सभी काम शेड्यूल बना कर समय पर पूरा करने की आदत।पेनडैनसी बिल्कुल पसंद नहीं। किसी की भी मदद किसी भी तरह के करनी हो तो अपनी मेहनत और कार्य से करो,पैसों से नहीं। अगर आपस में ही जुगाड़ करके आपमें जो स्किल है उस के माध्यम से सामने वाले की हेल्प हो जाए तो पैसों की तो जरूरत ही नहीं है छोटी मोटी जरुरतों के लिए।
कहीं ना कहीं महिलाओं के मन में इच्छाएं छुपी रह जाती हैं,मेरी भी रह गई इसलिए ये सब दूसरी महिलाओं के लिए करने की इच्छा हुई ,उनके परिवार को समय देते हुए,सभी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए खुद की इच्छाओं को भी समय देना।
मैंने जो टीम बनाई सब फ्री ऑफ कॉस्ट अपनी सेवाएं देते हैं मटेरियल भी उन्हीं का यूज़ करते हैं सभी की भावनाएं एक जैसी “निःस्वार्थ,निशुल्क, मन की उड़ान- मन से”✌️
फिजिकली प्रजेंट ना होकर भी डिजिटली रूप में मुझसे जुड़े हुए रहते हैं यही बेस एंड मोटीव हमारे एनजीओ का क्योंकि महिलाओं को अपने लिए समय निकालना अपने आप में बहुत बड़ा काम है। सब ने अपने घर में नहीं काम आने वाली चीजों से कैसे उसे हमारे विभिन्न प्रोजेक्ट्स में यूज कर सकते हैं यह किया।
संस्थान की जो ब्यूटी पार्लर और सिलाई मशीन ऑपरेटर और कत्थक क्लासिकल नृत्य प्रशिक्षण की जो ट्रेनर हैं उन्हें भी मेरे द्वारा आगे लाकर उनकी स्वयं की पहचान बनाने का कार्य किया और रोजगार का सुअवसर प्रदान किया। इसी तरह अन्य भी कई महिलाओं को जिले के महिला अधिकारिता विभाग जिला युवा नेहरू केंद्र और अन्य विभागों से जोड़कर विभिन्न प्रकार के प्लेटफार्म देकर अपनी स्वयं की पहचान बनाने का कार्य किया जा रहा है।
शुरू से ही प्रशासनिक सेवा में जाने की इच्छा रही है जिसके लिए प्रयास अभी भी जारी है।
अंत में मैं मेरे माता-पिता,भाई मेरी दोनों बेटियां और पूरे परिवार को धन्यवाद देना चाहूंगी कि इन सब में मुझे हमेशा उनका पूरा सपोर्ट रहा है और प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से कहीं ना कहीं मार्गदर्शन और साथ देने वाली सभी जिले के अधिकारियों,मेरे सहपाठी, मेरे प्रशिक्षणार्थीयों, उनके अभिभावक सभी का धन्यवाद। उन सभी के सहयोग व तालमेल से संस्थान निरंतर प्रगति की सीढ़ियाँ चढ़ता जा रहा है।
संस्थान का लोंग टर्म गोल एक ऐसा डिजिटल रथ तैयार करना जो महिलाओं को उनके डोर स्टेप पर जाकर स्किल डेवलपमेंट रिलेटेड प्रशिक्षण दे सके।
और दूसरा लोंग टर्म गोल आज के विद्यार्थियों के लिए ऐसा प्रोजेक्ट डिजाइन किया है जो पहले नैतिक शिक्षा की क्लासेस, एस.यू.पी.डब्ल्यू कैंप जैसे स्कूल में कार्यक्रम आयोजित होते थे ऐसा सिलेबस तैयार कर विद्यार्थियों को स्कूल लेवल से ही वास्तविक और प्रैक्टिकल प्रशिक्षण देकर उनकी नींव धर्म, संस्कृति, रीति-रिवाज मूल्यों तरफ ले जाना ताकि वे उम्र के नाजुक पड़ाव में भटके नहीं और अपने कैरियर,दिशा का स्वयं मार्गदर्शन कर सकें।
एक और इंपॉर्टेंट बात यह है कि यह जो सारी ट्रेनिंग हैं जो सिलाई ,ब्यूटी पार्लर हो गया महिलाओं से रिलेटेड इन पर महिलाओं के जैसे डिजाइनर कपड़े सिलने का, ब्यूटी पार्लर में जाकर मेकअप या तैयार होने का तो यह सब चीजें करो खर्चे भी होते हैं तो जब खुद ही उसे सीख जाएंगे तो खुद का तो और अपने परिवार वालों का जो खर्चा होता है ब्यूटी पार्लर जाने का आजकल खुद को अच्छे और इन पर ही महिलाओं के पैसे खर्चे भी होते हैं वो बचेगा और उनकी इच्छा भी पूरी होंगी।
Man ki Udaan Sansthan is the place where u not learn only techniques and different types of skills but also many other aspects of life like:
Sharing, discipline, healthy discussion, socializing, self confidence remain to be original.
नारी शक्ति भारतीय संस्कृति की आधार स्तंभ है। आमतौर पर महिलाएं स्वयं के लिए नहीं सोचती हैं लेकिन छोटा ही सही अपने लिए कोई सपना तो देखें। 24 घंटे में से 2 घंटा अपने लिए रखें। इससे आपका जीवन ही बदल जाएगा साथ ही परिवार को भी निश्चित रूप से फायदा मिलेगा । आप खुश रहेंगे तो पूरा परिवार हमेशा ही खुश रहेगा।
कहीं ना कहीं महिलाओं के मन में इच्छाएं छुपी रह जाती हैं, मेरी भी रह गई इसलिए ये सब दूसरी महिलाओं के लिए करने की इच्छा हुई, उनके परिवार को समय देते हुए, सभी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए खुद की इच्छाओं को भी समय देना।
समाज सेवा का उद्देश्य, मन में बीज शुरू से ही खून में था किंतु किस क्षेत्र में की जाए इसे आज की समय की और आने वाले भविष्य की संभावनाओं और मेरी स्वयं की पढ़ाई में योग्यता, सभी तरह के प्रशिक्षणों की डीप नॉलेज, समझ, स्किल, हॉबी देखते हुए संस्थान ने स्किल डेवलपमेंट क्षैत्र को चयन किया।
मेरा कार्य करने का तरीका यह है की हर एक भी मिनट व्यर्थ नहीं करना, एक मिनट का सदुपयोग करना, पेंडेंसी बिलकुल पसंद नहीं है और सभी काम शेड्यूल बना कर समय पर पूरा करने की आदत है । किसी की भी मदद किसी भी तरह के करनी हो तो अपनी मेहनत और कार्य से करो, पैसों से नहीं। अगर आपस में ही जुगाड़ करके आपमें जो स्किल है उस के माध्यम से सामने वाले की हेल्प हो जाए तो पैसों की तो जरूरत ही नहीं है छोटी-मोटी जरुरतों के लिए।
मैंने इंजीनियरिंग इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी में और एमटेक कंप्यूटर साइंस में की है और अब सोशल सर्विस कर रही हूं यह सवाल सभी के मन में आता है- इसके लिए मेरा यह कहना है कि टेक्निकल, अकैडमिक, डिग्री और स्किल्स भी जरूरी हैं पढ़ाई करना भी मेरा इंटरेस्ट है । जो स्किल रिलेटेड मेरी होबी चाइल्डहुड से रही है, हर गर्मी की छुट्टियों में एक एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज सीखती थी, इसके लिए मेरी मम्मी ने मेरा रुझान, इंटरेस्ट इन सब की ओर बढ़ाने का प्रयास किया उन्होंने ही मार्ग दिखाया। मल्टीटास्किंग पसंद है हर चीज आनी चाहिए खुद के लिए भी और दूसरे की हेल्प के लिए भी।
डिजिटल टेक्निकल स्किल्स मेरी पढ़ाई जिसमें मैंने की है उसे कैसे समाज सेवा क्षेत्र में उपयोग करना, यही सोचा मैंने। कुछ अलग हटकर क्या किया जाए जो लोगों के काम आ सके और स्पेशली महिलाओं को डिपेंडेंट ना रहना पड़े छोटे-छोटे कार्यो दैनिक के लिए।
मेरी तरह हमारी संस्थान,संस्थान की टीम मेंबर्स और ट्रेनर्स भी मल्टीटास्किंग है। हमारी संस्था के हर कार्य, डॉक्यूमेंटेशन, प्रेजेंटेशन और ऑल एक्टिविटीज में डिजिटल टेक्निक्स, स्मार्ट वेज विद शॉर्ट टाइम और यूनिक स्किल्स इन्वॉल्व हैं।
श्रीमान प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी का विजन भी स्किल इंडिया पर है और इसी तरह के प्रशिक्षण महिलाओं को, अभ्यर्थियों को देकर वे सभी महिलाओं, जनसमुदाय को आगे लाने के प्रयास कर रहे हैं। साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी वोकेशनल एजुकेशन पर काफी जोर दिया जा रहा है ।
संस्थान द्वारा अभ्यर्थियों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर अन्य ट्रेनर तैयार किए जा रहे हैं ताकि पूरे डूंगरपुर जिला और राज्य स्तर तक महिलाएं अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देकर सिखा सकें और यहां की जो ट्राइबल और शहरी एरिया की महिलाएं आगे बढ़ सकें।
सबसे इंपॉर्टेंट बात यह हैं की संस्थान की जो अलग-अलग प्रशिक्षणों की महिला ट्रेनर्स हैं वे भी अपने निःशुल्क सेवाएं दे रही हैं, निःशुल्क प्रशिक्षण का सामान उपलब्ध करवा रही हैं। फिजिकली प्रजेंट ना होकर भी डिजिटली रूप में मुझसे जुड़े हुए रहते हैं यही बेस एंड मोटीव हमारे एनजीओ का क्योंकि महिलाओं को अपने लिए समय निकालना अपने आप में बहुत बड़ा काम है।
सारी ट्रेनिंग के साथ-साथ अभ्यर्थियों को ऑफिस कल्चर, पर्सनालिटी डेवलपमेंट, कम्युनिकेशन स्किल्स, बॉडी लैंग्वेज की एक्स्ट्रा वर्कशॉप और नॉलेज समय-समय पर दिए जाते हैं। वास्तव में आपकी जॉब होने के बाद आपको कैसे कार्यस्थल पर कार्य करना है यह सिखाया जाता है क्योंकि आजकल की जनरेशन है वह किताबें पढ़कर, मेहनत करके कंपीटिटीव एग्जाम में पास हो जाती है लेकिन जब धरातल पर प्रैक्टिकल में जाकर उन्हें ऑफिस में वर्क करना होता है तो ऑफिस कल्चर समझ में नहीं आता है।
पढ़ना, हायर एजुकेशन भी मेरी हॉबी है और उच्च शिक्षा से ही सोंच-विचार, मानसिकता, क्रिएशन, इनोवेशन उच्च स्तर के आते हैं और फिर उसमें तकनीक का समावेश हो जाए तो क्या कहना।
एक लाइफ मिली है तो अपनी इच्छाओं और ख्वाहिशों को पूरा करें, दूसरों की मदद करें, इन सबमें किसी को पूरे परिवार का साथ मिलता है तो सब साथ मिलकर होता है और जहां साथ- समझ नहीं वह अकेले चलता है।
असफलता में ही सफलता है असफल होते हैं तो नेक्स्ट ट्राय करते हैं हमारे गोल की ओर, उसमें और नए इनोवेशन ऐड होते हैं और बेहतर होता है अनुभव के कारण ।आपके मन में आने वाले किसी भी विचार, क्रिएटिविटी एंड इंट्रेस्ट को छोटा ना समझे उसे इंप्लीमेंट करें या तो सक्सेस होंगे या अनसक्सेस । अनसक्सेस में ज्यादा मजा है, चैलेंज होंगे तो लाइफ जीने में मजा आएगा। छोटी सी लाइफ है हर बात जो करना चाहते हैं उसके लिए कोशिश करें, उसे पूरा करें और पूरा नहीं भी कर पाए तो एक्सपीरियंस मिलेगा और ओवरऑल पर्सनैलिटी डेवलपमेंट होगा।
अपने नैतिक मूल्य, संस्कार, अपने धर्म, संस्कार, रीति-रिवाज, मूल्यों, महापुरुषों की जीवनियाँ, रामायण, महाभारत और मिट्टी से जुड़ें ।
साथ ही बच्चों के लिए तक्षशिला कॉर्नर – वैदिक ज्ञान प्रारम्भ किया गया है जिसमें बच्चों को अपने धर्म से जुड़ी बातें, धार्मिक ग्रंथ और भगवान की कथा से संबंधी ज्ञान दिया जाता है ताकि वे टीवी, मोबाइल, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म से दूर रह सकें।
आगामी समय में संस्थान द्वारा महिलाओं के लिए ड्राइविंग क्लासेस, आत्मरक्षा क्लासेस प्रारंभ की जा रही हैं ताकि वे अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें, नारी शक्ति स्वावलंबी बने और आत्मनिर्भर बन सके और अन्याय के खिलाफ लड़ने के गुर सीख सके।
संस्थान द्वारा समय-समय पर आयोजित होने वाले जिला कार्यक्रमों में वागड़ जनजाति क्षेत्र में विद्यमान टैलेंटेड कैंडीडेट्स को प्लेटफार्म दिया जाता है जिससे वे भी अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर सकें और राज्य स्तर पर भी मिलने वाले प्लेटफार्म या पुरस्कार के लिए नॉमिनी किया जाकर आगे लाने का प्रयास किया जा रहा है।
संस्थान की सिलाई मशीन ऑपरेटर, ब्यूटी पार्लर और कत्थक क्लासिकल नृत्य प्रशिक्षण की जो ट्रेनर हैं उन्हें भी मेरे द्वारा आगे लाकर उनकी स्वयं की पहचान बनाने का कार्य किया और रोजगार का सुअवसर प्रदान किया। इसी तरह अन्य भी कई महिलाओं को जिले के महिला अधिकारिता विभाग जिला युवा नेहरू केंद्र और अन्य विभागों से जोड़कर विभिन्न प्रकार के प्लेटफार्म देकर अपनी स्वयं की पहचान बनाने का कार्य किया जा रहा है।
संस्थान का लोंग टर्म गोल एक ऐसा ‘डिजिटल रथ’ तैयार करना जो महिलाओं को उनके डोर स्टेप पर जाकर स्किल डेवलपमेंट रिलेटेड प्रशिक्षण दे सके, और दूसरा लोंग टर्म गोल आज के विद्यार्थियों के लिए ऐसा प्रोजेक्ट डिजाइन किया है जो पहले नैतिक शिक्षा की क्लासेस, एस.यू.पी.डब्ल्यू कैंप जैसे स्कूल में कार्यक्रम आयोजित होते थे ऐसा सिलेबस तैयार कर विद्यार्थियों को स्कूल लेवल से ही वास्तविक और प्रैक्टिकल प्रशिक्षण देकर उनकी नींव धर्म, संस्कृति, रीति-रिवाज मूल्यों की तरफ ले जाना ताकि वे उम्र के नाजुक पड़ाव में भटके नहीं और अपने कैरियर, दिशा का स्वयं मार्गदर्शन कर सकें।
अंत में मैं मेरे माता-पिता, भाई मेरी दोनों बेटियां, जिले के अधिकारियों, मेरे सहपाठी, मेरे प्रशिक्षणार्थीयों, अभिभावक और पूरे परिवार को धन्यवाद देना चाहूंगी । आप सभी के मार्गदर्शन, सहयोग व तालमेल से संस्थान निरंतर प्रगति की सीढ़ियाँ चढ़ता जा रहा है ।